गुर्दे और मूत्राशय की पथरी में परम लाभकारी कुल्थी का पानी
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गुर्दे और मूत्राशय की पथरी का रोगी प्रायः हर दूसरे और तीसरे घर में मिल जाता है और सर्वविदित है कि गुर्दे और मूत्राशय की पथरी के बहुत ही प्रभावी और सस्ते इलाज आयुर्वेदिक दवाओं और घरेलू नुस्खों में छुपे हुये हैं । ऐसा ही एक बहुत लाभकारी नुस्खा है कुल्थी का पानी । कुल्थी एक तरह की दाल होती है जो आपको आसपास किसी पंसारी की दुकान से मिल जायेगी । कैसे बनाया जाता है इसका पानी और क्या है इस कुल्थी के पानी की सेवन विधी, इस पोस्ट में जानिये प्रकाशित आयुर्वेद, मेरठ के सौजन्य से ।
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इस प्रयोग को करने के लिये एक बड़ा गिलास काँच का ले और उसमें 250 मिलीलीटर ताजा पानी लें और इसमें 20 ग्राम कुल्थी की दाल डाल दें इस को रात भर के रख दें । अगले दिन सुबह इस पानी को साफ चम्मच से चलाकर सफेद सूती कपड़े से छान कर खाली पेट पीलें रात भर भिगोये गये इन्ही दानों को दोबारा काँच के गिलास में डालकर 250 मिलीलीटर पानी के साथ पुनः 6 घण्टे के लिये भिगो दें । 6 घण्टे के बाद फिर से सुबह की तरह चम्मच से चलाकर सफेद सूती कपड़े से छान कर पानी को पी लें । रात को तीसरी बार पीने के लिये फिर से इन्ही दानों को एक बार फिर 250 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ भिगोकर रख दें और 6 घण्टे बाद चम्मच से चलाकर और छानकर पीलें । चाहें तो अब इन दानों को चबा चबाकर खा भी सकते हैं ।
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ध्यान रखने वाली बात है कि एक बार लिये गये 20 ग्राम कुल्थी की दाल के दानें अगली 3 बार तक लगातार प्रयोग में लाने हैं । और 3 बार प्रयोग में लाने के बाद पुनः नये 20 ग्राम दाने प्रयोग करने के लिये लें । यह प्रयोग लगातार एक से तीन महीने तक दोहराने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी के अधिकतर रोगियों को निश्चित लाभ होता है । जिन रोगियों को बार बार गुर्दे और मूत्राशय की पथरी बनने की शिकायत रहती है उनके लिये भी यह प्रयोग समान रूप से लाभकारी सिद्ध होता है । इसके अतिरिक्त कुल्थी के पानी के सेवन के इस प्रयोग से बढ़े हुये ब्लड प्रेशर और बढ़े हुये कॉलेस्ट्राल में भी लाभ मिलता हुआ देखा गया है ।
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