यूँ ही नही बोलते पीपल को देव वृक्ष, आप भी जानिये इसके गुण
पीपल का पेड़ ना सिर्फ धार्मिक महत्तव का पेड़ है बल्कि आयुर्वेद के अन्तर्गत प्राचीन समय से ही बहुत से औषधिय गुणों को भी समाहित किये हुये है । इस पोस्ट में प्रकाशित आयुर्वेद, मेरठ के सौजन्य से हम आपके लिये पीपल से जुड़े कुछ बहुत प्रभावशाली औषधिय प्रयोगो की जानकारी लाये हैं । तो चलिये जानते हैं इन प्रयोगों के बारे में
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सिर दर्द में पीपल का प्रयोग :-
पीपल के चार कोमल पत्ते लेकर उनको खूब चबाचबा कर उनके रस को चूसे और फिर चबाये गये पत्तों को थूक दें । यह प्रयोग हर 4-5 घण्टे बाद करते रहने से लगातार बना रहने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है और साथ ही यह प्रयोग जुखाम की समस्या का भी समाधान कर देता है ।
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बुखार का उपचार है पीपल :-
पीपल की कोमल टहनी को दातुन की तरह चबाचबा कर थूकते रहें यह प्रयोग मलेरिया और तेज बुखार में बहुत लाभ देता है ।
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वीर्यवर्धक होता है पीपल :-
पीपल पर लगने वाले फलों को छाया में सुखाकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को 2 ग्राम लेकर गाय के 250 मिलीलीटर दूध के साथ रात को सोते समय सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और नपुन्सकता दूर होती है । जिन स्त्रियों को बिना किसी कारण के भी सन्तान नही होती है उनको भी यह प्रयोग बहुत लाभकारी सिद्ध होता है । इससे मासिक विकार और प्रदर रोग भी ठीक होता है ।
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दमा खाँसी में लाभकारी है पीपल :-
पीपल के सूखे पत्तों को कूटपीस कर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण का चौथाई चम्मच लेकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर रोज 2-3 बार सेवन करने से खाँसी और दमा के रोगियों को बहुत लाभ देता है ।
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साँप के काटने का उपचार है पीपल :-
यह विशेष प्रयोग राजस्थान के बीकानेर से प्रकाशित होने वाली शुचि-मासिक पत्रिका में अक्टुबर 1982 में प्रकाशित किया गया था अतः दावे की पुष्टी उसी में समाहित है । पीपल की ताजी हरी टहनी तोड़कर साँप काटे वयक्ति के कान के पास 15 मिनट तक रखें इससे जहर उतर जाता है । कहा जाता है कि साँप काटे व्यक्ति के कान से पीपल की लकड़ी चिपक जाती है अतः लकड़ी को सावधानी से पकड़े रहना चाहिये ।
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प्रकाशित आयुर्वेद, मेरठ के सौजन्य से दी गयी यह जानकारी आपको अच्छी और लाभकारी लगी हो तो कृपया लाईक और शेयर जरूर कीजियेगा ।
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