साठ से भी ज्यादा बीमारियों में लाभ करता है सुहागा, जानिये कैसे
सुहागा क्या है? ( Boracic/Borax /Suhaga )
सुहागा, सोडियम टेट्राबोरेट, या डाईसोडियम टेट्राबोरेट है। यह एक खनिज है और बोरिक एसिड का लवण है। सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।
केमिकल नाम Chemical name: Sodium Tetraborate, Na2B4O7.10H2O (Contains not less than 99.0% and not more than the equivalent of 103.0 % , Na2B4O7.10H2O)
विवरण Description: Transparent, colorless crystals, or a white, crystalline powder, odorless, taste saline and alkaline. Effloresces in dry air, and on ignition, loses all its water of crystallization.
घुलनशीलता Solubility: Soluble in water, practically insoluble in alcohol
कठोरता Hardness : 2 to 2।5
स्पेसिफिक ग्रेविटी Sp. Gr.: 1।65 to 1।7
स्वाद Taste: Sweetish alkaline
सुहागा का स्थानीय नाम
Sanskrit: Tankana, Tunkana, Rasashodhan
Hindi: Suhagaa, Tinkal, Tincal
English: Tincal, Borax, Sodium biborate, Biborate of Soda Borax, Biborate of Sodium
Bengali: Sohaga
Gujarati: Tankana Khara, Khadiyo Khara
Kannada: Biligāra, Belgar
Malayalam: Pongaaram
Marathi: Tankana Khara
Punjabi: Sohaga
Tamil: Venkaram
Telugu: Veligaram
Urdu: Tankar, Suhaga
Arabic: Buraekes-saghah
Persian: Tinkar-tankar
.
सुहागा की खील (Suhage Ki Kheel) Tankar biryani
सुहागे को पीस कर उसका चूर्ण बनाया जाता है। इसको एक साफ़ कढ़ाही में डाल कर चम्मच से चलाया जाता है। जब सुहागे का जलीय भाग dehydrated borax नष्ट हो जाता है तब यह खील की तरह फूल जाता है। यही सुहागे की खील या शुद्ध टंकण है। Pieces of borax are to be heated on frying pan on low flame to get white fluffy masses। इसे पीस लेते हैं और छन्नी से छान कर रख लेते हैं।
.
सुहागा के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण 
1- स्वरभंग : सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
2- जुकाम : तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
3- नजला :- भूना सुहागा आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला ठीक हो जाता है।
4- पसीना : 1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
5- अजीर्ण : बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
6- पेट फूलना, दूध उलटना : तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।
7- तिल्ली : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
8- चर्मरोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
9- बाल रोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
10- अंडकोष की वृद्धि : 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
11- कर्णरोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
12- अंडकोष की खुजली : लगभग 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।
13- आंख आना : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
14- दमा : लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
15- आंखों का दर्द : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
.
.
16- दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लियें : सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं। लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
17- काली खांसी (कुकर खांसी) : सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है। तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है।
18- बालों के रोग : 20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं। 5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।
19- खांसी : 5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है। बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
20- दांत निकलना : भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है। सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं। 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
21- पायरिया : सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।
22- निमोनिया : 3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है। 1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
23- बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
24- जुओं का पड़ना : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
25- जीभ की प्रदाह और सूजन : सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।
26- मसूढ़ों का फोंड़ा : मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है।
27- मसूढ़ों की सूजन : हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।
28- मुंह के छाले : सुहागा के टुकड़े को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार मुंह में लगायें। इससे मुंह की जलन, मुंह के दाने तथा मुंह के छाले आदि रोग खत्म होते हैं। इसका प्रयोग छोटे बच्चों के मुंह में होने वाले छालों में भी कर सकते हैं। शहद में सुहागा मिला कर घोल तैयार करें। इसके घोल में साफ रूई को भिगोकर मुंह के छाले पर लगाने से तथा मुंह से निकलने वाले लार को नीचे टपकाने से मुंह की गंदगी खत्म होकर छाले दूर होते हैं।2 ग्राम भुना सुहागा के बारीक चूर्ण को 15 ग्राम ग्लिीसरीन में मिलाकर रखें। इस मिश्रण को दिन में 2 से 4 बार मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।भुना हुआ सुहागा 1 चुटकी बारीक पीसकर ग्लिसरीन या देशी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
.
.
29- मुंह का रोग : 3 ग्राम भुना सुहागा आधा ग्राम कपूर चूरा को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से मुंह के सभी रोग खत्म होते हैं। 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम बड़ी इलायची के दाने तथा 10 ग्राम तबासीर को मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद 4-4 ग्राम चूर्ण पानी के साथ खायें और इसके चूर्ण को जीभ पर छिरकने से जीभ व मुंह के छाले खत्म होते हैं। 3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर शहद या ग्लिसरीन 25 ग्राम में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के सफेद घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
30- नपुंसकता : सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पका कर लिंग पर मलने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।
31- दस्त के लिए : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को रोजाना सुबह और शाम देने से बच्चों के आने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।
32- मुंह की दुर्गंध : 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर कुल्ला करने व गरारे करने से मुंह की दुर्गंध मिटती है तथा मुंह के अन्य रोग भी खत्म होते हैं।
33- मूत्र के साथ खून आना : 0.24 से 0.96 ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले हुए पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है।
34- थूक अधिक आना : 500 मिलीलीटर पानी में 125 ग्राम सुहागा मिलाकर गरारे करने और बीच-बीच में कुल्ला करने से लार का मुंह में अधिक आना (लार श्राव) बंद हो जाता है।
35- हकलाना, तुतलाना : हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े। इसको रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर होता है।
36- मासिक धर्म की अनियमितता : 10 ग्राम सुहागा, 10 ग्राम हीरा कसीस, 10 ग्राम मुसब्बर तथा 10 ग्राम हींग को पानी के साथ पीसकर लगभग 0.24 ग्राम की गोली बनाकर 1 गोली सुबह और शाम अजवायन के साथ सेवन करना चाहिए। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
37- बवासीर (अर्श) : 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीता (चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर मलहम बना लें। इसके मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख कर गिर जाते हैं।
38- कान के कीड़े : सुहागे को सिरके में मिलाकर गर्म करके कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते है।
39- गुर्दे के रोग : 1-1 ग्राम सुहागा भुना, नौसादर, कलमी शोरा को पीसकर गुर्दे मे दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के रस के साथ 2-3 चम्मच लेने से आराम आता है।
40- कान की पुरानी सूजन : ढाई प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद डालने से कान की पुरानी सूजन दूर होती है।
41- भगन्दर : 4 ग्राम सुहागा को 58 ग्राम पानी मे घोल कर पीने से गुदकण्डु (खुजली) नष्ट होती है और नासूर में लाभ होता है।
42- घाव : सुहागे को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बांधने से खून रुक जाता है।
43- अग्निमांद्यता (अपच) के लिए : लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुहागे का चूर्ण खाना खाने के एक घंटे बाद खाने से अपच (भोजन का ना पचना) रोग में लाभ होता है।
44- पथरी : 5-5 ग्राम सुहागा, जौंखार तथा कलमी शोरा को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 1-1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम मूली के रस या कुल्थी के जुसांदे में मिलाकर पीने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।
45- प्रदर रोग : 2.5 प्रतिशत सुहागे के घोल की पिचकारी जननेन्द्रिय में देने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।
46- गिल्टी (ट्यूमर) : सुहागे की खील को गिल्टी (ट्यूमर) में लगाने से लाभ होता है।
47- धनुष्टंकार (टिटनेस) : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से धनुष्टंकार(टिटनेस) का रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।
48- नाक के रोग : 3 ग्राम सुहागे को पानी के साथ पीसकर नाक के नथुनों (छेदों) में लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाता है।
49- स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना : भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास (संभोग) करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
50- चेहरे की झाई होने पर : 25 ग्राम चमेली के तेल या बादाम रोगन में 1 ग्राम पिसा हुआ भुना सुहागा मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाई दूर हो जाती है।
51- फोड़ा (सिर का फोड़ा) : सुहागे के पानी से फोड़े और फुंसियों को धोने से फोड़े और फुंसी समाप्त हो जाते हैं।
52- खाज-खुजली : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
53- त्वचा के लिए : सतातू के ताजे पत्ते, सुहागे का चूर्ण और नील को मिलाकर बहुत बारीक पीसकर त्वचा पर लगाने से बहुत भयानक चमड़ी का रोग, एक्जिमा, बदबू वाला कोढ़ और दूसरे प्रकार के चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
54- खुजली के लिए : सुहागा को फुलाकर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी से खुजली दूर होती है।
55- दाद के लिए : सुहागा, गन्धक और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। यह मिश्रण 40 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 गुने पानी में डालकर घोल तैयार करके 24 घंटे तक रख दें। 24 घंटे के बाद इसे एक दिन में 2 बार दाद पर मलने से 2 से 3 दिन में ही दाद मिट जाता है।
56- नहरूआ : सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नहरूआ का रोग नष्ट होता है।
57- नाखून का रोग : नाखूनों की खुजली व सड़न में सुहागा, भुनी हुई फिटकरी, अमला सार, गन्धक तथा चीनी बराबर मात्रा में लेकर सभी को अच्छी तरह से पीसकर सफेद वेसलीन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। यह मलहम रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों मे लगाने से लाभ मिलता है।
58- पीलिया का रोग : 10-10 ग्राम सुहागा भुना, फिटकरी भुनी, शोराकलमी और नौसादर को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 1-1 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद सुबह और शाम पानी से लेने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
59- मिर्गी (अपस्मार) : सुहागे की लावा (खील) 0.24 ग्राम से 0.96 ग्राम शहद के साथ सुबह और शाम को खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है। 10 प्रतिशत सुहागे की खील के घोल को शुद्ध पानी में मिलाकर किसी नली के द्वारा 2 से 5 मिलीलीटर हफ्ते में 1 बार देने से मिर्गी रोग में बहुत लाभ मिलता है।
.
.
60- जलने पर : 1 ग्राम सफेद सुहागें को 20 ग्राम पानी में मिला लें। इस पानी से शरीर के जले हुए भागों को धोने से घाव बिल्कुल ठीक हो जाता है।
61- लिंगोद्रेक (चोरदी) : लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग 240 से 960 मिलीग्राम सुहागे की खीर रोजाना सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
62- गला बैठना : 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
63- स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
64- भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
65- यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसने से आराम आता है।
66- जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।
67- सुहागा, आमलासार गन्धक और राल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें तथा इन तीनों के बराबर इसमें घी डालकर हल्की आग पर पका लें। जब यह पकते हुयें ठीक प्रकार से मिल कर एक हो जायें तो इसे उतार कर एक बर्तन में डालकर उस बर्तन में पानी डाल दें जिससें की पानी उस बर्तन में ऊपर ही रहें। ठंडा होने के बाद पानी ऊपर आ जायेगा और जो मिश्रण इसमें डाला था वो जम जायेगा। अब उस पानी को फैंक दें ओर मिश्रण को दाद, खाज और फोड़े-फुंसियों पर लगाने सें लाभ होता है।
68- सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें