शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

स्वर्ण भस्म के चमत्कारी औषधिय उपयोग । बेशकीमती जानकारी

स्वर्ण भस्म के चमत्कारी औषधिय उपयोग । बेशकीमती जानकारी



स्वर्ण भस्म के लाभ/फ़ायदे Benefits of Swarna Bhasma


स्वर्ण की भस्म, स्निग्ध, मेद्य, विषविकारहर, और उत्तम वृष्य है। यह तपेदिक, उन्माद शिजोफ्रेनिया, मस्तिष्क की कमजोरी, व शारीरिक बल की कमी में विशेष लाभप्रद है। आयुर्वेद में इसे शरीर के सभी रोगों को नष्ट करने वाली औषधि बताया गया है।
स्वर्ण भस्म बुद्धि, मेधा, स्मरण शक्ति को पुष्ट करती है। यह शीतल, सुखदायक, तथा त्रिदोष के कारण उत्पन्न रोगों को नष्ट करती है। यह रुचिकारक, अग्निदीपक, वात पीड़ा शामक और विषहर है।
यह खून की कमी को दूर करती है और शरीर में खून की कमी से होने वाले प्रभावों को नष्ट करती है।
यह शरीर में हार्मोनल संतुलन करती है ।
यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के दोषों को दूर करती है।
यह शरीर की सहज शरीर प्रतिक्रियाओं में सुधार लाती है।
यह शरीर से दूषित पदार्थों को दूर करती है।
यह प्रक्रियाओं को उत्तेजित करती है।
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करती है।
यह एनीमिया, और जीर्ण ज्वर के इलाज में उत्कृष्ट है।
यह त्वचा की रंगत में सुधार लाती है।
पुराने रोगों में इसका सेवन विशेष लाभप्रद है।
यह क्षय रोग के इलाज के लिए उत्कृष्ट है।
यह यौन शक्ति को बढ़ाती है।
यह एंटीएजिंग है और बुढ़ापा दूर रखती है।
यह झुर्रियों, त्वचा के ढीलेपन, सुस्ती, दुर्बलता, थकान, आदि में फायेमंद है।
यह जोश, ऊर्जा और शक्ति को बनाए रखने में अत्यधिक प्रभावी है।
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स्वर्ण भस्म के चिकित्सीय उपयोग Uses of Swarna Bhasma


अवसाद
अस्थमा, श्वास, कास
अस्थिक्षय, अस्थि शोथ, अस्थि विकृति
असाध्य रोग
अरुचि
कृमि रोग
बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए
विष का प्रभाव
तंत्रिका तंत्र के रोग
मनोवैज्ञानिक विकार, उन्माद, शिजोफ्रेनिया
मिर्गी
शरीर में कमजोरी कम करने के लिए
रुमेटी गठिया
यौन दुर्बलता, वीर्य की कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन
यक्ष्मा / तपेदिक
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सेवन विधि और मात्रा Dosage of Swarna Bhasma


स्वर्ण भस्म को बहुत ही कम मात्रा में चिकित्सक की देख-रेख में लिया जाना चाहिए।
सेवन की मात्रा 15-30 मिली ग्राम, दिन में दो बार है।
इसे दूध, शहद, घी, आंवले के चूर्ण, वच के चूर्ण या रोग के अनुसार बताये अनुपान के साथ लेना चाहिए।

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