सोमवार, 10 अप्रैल 2017

धाय के फूल :- एक अनुपम उपहार, एक चमत्कारिक औषधि, एक अनछुआ विषय

धाय के फूल :- एक अनुपम उपहार, एक चमत्कारिक औषधि, एक अनछुआ विषय



धाय के फूल :- एक अनुपम उपहार, एक चमत्कारिक औषधि, एक अनछुआ विषय
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धाय के फूल अथवा धातकी के फूल पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में आसानी से मिल जाते हैं, अगर आपको इनकी पहचान नही है तो आपके आस पास किसी जड़ी-बूटी वाले की दुकान पर यह बहुत सस्ते में उप्लब्ध हो जाते हैं । इस पोस्ट में हम आपको धाय के फूलों से मिलने वाले कुछ बहुत ही अच्छे स्वास्थय लाभों के बारे में बता रहे हैं । तो आइये जानते हैं इन स्वास्थय लाभों के बारे में ।
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अतिसार में धाय के फूल :-

अतिसार और दस्तों के रोग में धाय के फूलों का चूर्ण को 2 ग्राम की मात्रा में ताजा बनाये गये तक्र ( मट्ठे ) के साथ हर 3 घण्टे के बाद सेवन करने से दस्तों का प्रवाह रुक जाता है । धाय के फूलों को बेल पत्थर के गूदे के साथ काढ़ा बना कर पीने से यह सभी तरह के दस्तों में लाभ देता है साथ ही यह आँतों के इन्फेक्शन में भी लाभ करता है ।
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रक्तप्रदर और श्वेतप्रदर में धाय के फूल :-

धाय के फूलों का विशेष प्रयोग माताओ- बहनों के रक्त और श्वेत प्रदर के रोगों में सफलता पूर्वक प्राचीन काल से ही किया जाता आ रहा है । प्रदर की अवस्था में धाय के फूलों का दस ग्राम चूर्ण रोज एक बार चावल के धोवन ( माण्ड ) के साथ किया जाता है । यदि चावलों के धोवन में 2 ग्राम पिसी हल्दी भी मिला ली जाये तो बहुत ही उत्तम लाभ मिलते हैं ।
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गुर्दे की पथरी में धाय के फूल :-

गुर्दे की पथरी में भी धाय के फूलों का प्रयोग किया जा सकता है । गुर्दे में पथरी हो जाने पर धाय के फूलों का दस ग्राम चूर्ण दिन में दो बार गरम पानी के साथ सेवन करवाने से पथरी गल कर बाहर निकल जाती है ।
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खूनी बवासीर में धाय के फूल :-

बवासीर के जिन रोगियों को शौच के साथ व बाद में खून आता है उनके लिये धाय के फूल बहुत रामबाण सिद्ध होते हैं । बवासीर के खून को रोकने के लिये धाय के फूलों के 5 ग्राम चूर्ण को 2 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार खाना चाहिये और मिर्च-मसालेदार चीजों का सख्ती से परहेज रखना चाहिये ।
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पायरिया की समस्या में धाय के फूल :-

दाँतों में पायरिया लग गया हो तो धाय के फूलों के चूर्ण को मंजन करने से बहुत ही अच्छा लाभ मिलता है । इससे हिलते हुये दाँत भी अपनी जगह जम जाते हैं । स्वस्थ दाँत वाले इन्सान भी धाय के फूलों का मंजन कर सकते हैं ।
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गर्भाशय की शुद्धि के लिये धाय के फूल :-

धाय के फूल प्रसव के बाद प्रसूता स्त्री को सेवन करवाने से यह गर्भाशय की शुद्धि का काम भी बखूबी करता है । इसका सेवन पीपल की दाड़ी के चूर्ण के साथ करवाने से यह गर्भाशय में रुकी हुयी सारी गन्दगी को बाहर कर देता है ।
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नोट :- पीपल के पुराने पेड़ से जो लम्बी लम्बी जटायें शाखाओं से निकल कर जमीन की तरफ बढ़ती हैं उनको पीपल की दाड़ी बोलते हैं । इसको सुखा कर चूर्ण तैयार कर लिया जाता है ।
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इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं, फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही इन प्रयोगों को करने की हम आपको सलाह देते हैं ।
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