बाँस जलाना क्यों मना है :-
शास्त्रों में बाँस जलाने को पूरी तरह मना किया गया है किसी भी हवन और पूजन में इसको नही जलाया जाता है । अर्थी बनाने में प्रयोग होने के बावजूद इसको चिता में भी नही जलाया जाता है । कहा जाता है कि बाँस जलाने से पितृ दोष लगता है और शरीर में गम्भीर रोग होते हैं जो पितृ दोष के कारण ही अगली पीढ़ी में भी आते हैं । इसका क्या कारण हो सकता है और क्या है इसके पीछे छिपा वैज्ञानिक कारण । आधुनिक अनुसंधान बताते हैं कि बाँस में लेड और हैवी मैटल बहुत ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं । जब भी बाँस को जलाया जाता है तो उससे बहुत ज्यादा लैड ऑक्साईड बनता है जो सीधे हवा में घुलता है और हवा की गति के कारण दूर दूर तक फैलता है जो कि आबादी के बड़े हिस्से को साँस के साथ शरीर में पहुँच कर दिमाग और नसों से सम्बंधित बीमारियों का रोगी बनाता है । शायद इसलिये ही माना जाता है कि बाँस जलाने सए पितृ दोष लगता है जिससे कि लोग बाँस को ना जलायें और इस महामारी से बचे रह सकें ।
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