दही खाने का नियम नम्बर पाँच :-
अब सवाल यह उठता है कि किस तरह का
दही खाना चाहिये । केवल वो
दही खाना चाहिये जो रात को जमने के लिये रखा गया हो और सुबह तक पूरी तरह से जम गया हो और उसका स्वाद प्राकृतिक मीठा हो । जो
दही पूरी तरह से ना जमा हो अर्थात कच्चा हो और जिसका स्वाद खट्टा हो गया हो एवं जिस
दही में दुर्गन्ध सी प्रतीत होने लगे उस
दही को नही खाना चाहिये । सबसे उत्तम यह है कि मिट्टी के पात्र में जमा
दही ही खाया जाये ।
दही खाने का नियम नम्बर छः :-
सबसे महत्तवपूर्ण सवाल
दही को किस तरह से खाना चाहिये ।
दही को ऐसे ही बिना कुछ मिलाये खाना चाहिये । बहुत से लोगों को आदत होती है कि
दही में चीनी अथवा नमक मिलाकर खाते हैं । ऐसा करना पूरी तरह से गलत है ।
दही में नमक मिलाने से उसमें मौजूद लाभदायक बैक्टीरिया मर जाते हैं और दही निर्गुण हो जाती है ।
दही में चीनी मिलाने से यह आँतों में सड़न पैदा करती है । फिर भी यदि
दही में कुछ मिलाना ही है तो सेंधा नमक अथवा भुना हुआ जीरा मिलाया जा सकता है । इसके अलावा एक ध्यान देने वाली बात यह भी है कि
दही को कभी भी गरम करके और फ्रीज में रखकर ठण्डा करके नही खाना चाहिये । इन दोनों ही दशाओं में
दही लाभ के बजाय शरीर को नुक्सान ही पहुँचाती है ।
इस लेख के माध्यम से
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