गेहूँ के ज्वारे का रस, हरा अमृत
गेहूँ के ज्वारे का रस जो लोग प्रतिदिन सेवन करते हैं उनको बहुत से रोग छू भी नही पाते और जो रोग उनको होते हैं उनको ठीक करने में यह बहुत लाभदायी होता है । इस लेख में हम आपको
गेहूँ के ज्वारे के रस के सेवन से किन किन रोगों में लाभ होता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं । बहुत ही सुन्दर जानकारी है जरूर पढ़ियेगा ।
गेहूँ के ज्वारे का रस बनाने का तरीका :-
ये अमृत तुल्य रस तैयार करना बहुत ही आसान है । अच्छी किस्म के गेहूँ के दाने 20-20 ग्राम 10 अलग अलग छोटे छोटे गमलों में बोदें । इन गमलों को घर के अन्दर ही छाया वाली जगह पर रखें । रोज हर गमले में लगभग 150 ग्राम पानी दें । 10 दिन में हर गमले में 8-10 इंच लम्बे
गेहूँ के ज्वारे निकल आयेंगे । पहले दिन पहले गमले में निकले ज्वारे तोड़ लें और जूसर में डालकर हल्का पानी का छींटा देकर इनका जूस निकाल लें । जिस गमले में से ज्वारे तोड़े हैं उस गमले में साथ के साथ 20 ग्राम गेहूँ के दाने डाल दें । दुसरे दिन दूसरे गमले के ज्वारे तोड़े और तीसरे दिन तीसरे गमले के । इसी तरह दसवे दिन दसवे गमले के ज्वारे तोड़ने हैं । ग्यारहवें दिन फिर से पहले गमले के ज्वारे तैयार मिलेंगे उनको तोड़ना है । यह जूस रोज सुबह खाली पेट सेवन किया जाता है । अब आगे हम विभिन्न रोगों में इसके लाभों के बारे में बात करेंगे ।
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