स्वस्थ होने का लक्षण है मानसिक शक्ति
आयुर्वेद में रोग होने के दो अधिष्ठान अर्थात स्थान माने गये हैं, पहला है शरीर और दूसरा है मन । जिस प्रकार शरीर बहुत सारी बीमारियों से ग्रसित हो सकता है वैसे भी मन को भी बहुत सारे रोग हो सकते हैं । शारीरिक रोग मानसिक रोगों को पैदा कर सकते हैं अथवा बढ़ा सकते हैं इसी तरह से मानसिक रोग भी शारीरिक रोग भी मानसिक रोगों को पैदा कर अथवा बढ़ा सकते हैं । मानसिक रोग जैसे कि डिप्रेशन, तनाव, चिन्ता, गुस्सा ज्यादा आना. चिड़चिड़ापन आदि ज्यादा रहना मानसिक रोगों में गिना जाता है । रोगी मन के साथ शरीर रोगी होता है और रोगी शरीर का मन भी रोगी होता ही है । यदि आप अपने मानसिक भावों को कण्ट्रोल नही कर पाते हैं और जल्दी ही आपको गुस्सा आदि आ जाता है तो यह स्पष्ट संकेत है कि आप स्वस्थ नही हैं । भले ही यह मानसिक रोग हो लेकिन स्वस्थ होने के लिए शरीर के साथ मन का भी पूर्ण स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है ।
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